RakshaBandhan (रक्षाबंधन) यों तो सभी को पता है कि भाई -बहन का एक पवित्र त्यौहार है |लेकिन यह बहुत कम लोगों को पता है की इसको मनाने के पीछे कारण क्या है |सबसे पहले हम इसकी भूमिका पर पर प्रकाश डालते हैं |भारत विविधताओं का देश है |यहाँ प्रतिदिन कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है |यह भाई -चारा को बढ़ने में सबसे अहम् भूमिका अदा करते हैं |लोगों में उत्साह रहता है और वे रोज़ की भागदौड़ की जिंदगी में से कुछ समय अपने परिवार वालों के साथ बिता पाते हैं |रक्षा बंधन एक पवित्र त्यौहार है |
इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा का धागा बांधती हैं जो भाई को यह स्मरण दिलाता है की संकट के समय वह अपनी बहन की रक्षा करेगा |यह पर्व पूरे भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है |यह पर्व बहुत सदियों से मनाया जाता रहा है |बहनें भाई के घर जाती हैं या भाई स्वयं बहन के घर जाकर राखी बंधवाते हैं |और उसकी रक्षा का प्रण दोहराते हैं |बदले में भाई अपनी बहन को कुछ उपहार भी देते हैं |
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है ? जानिए |
कोई भी त्यौहार को मनाने के पीछे पुरानी मान्यताएं है |ये अचानक या कुछ दिनों पूर्व से नहीं मनाये जाते हैं|इसी प्रकार राखी का पर्व मनाने के पीछे एक कहानी है |सन 1535 की बात है | एक रानी थी जिसका नाम था रानी कर्णावती |वह मेवाड़ के राजा राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा भी कहा जाता है ,की पत्नी थी |रानी कर्णावती का जीवन शौर्य ,साहस ,पराक्रम से भरा है |
मेवाड़ राजस्थान का प्रसिद्द स्थान है |किसी समय राणा सांगा यहाँ राज्य किया करते थे |वे बहुत पराक्रमी रजा थे |राणाजी भारत में हिन्दू साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे |इस कार्य में उनकी पत्नी भी उनका सहयोग करती थीं |रानी एक अच्छी राजनीतिज्ञ थीं |
जैसा की जग जाहिर है की राजस्थान की महिलाएं अपने शौर्य के लिए प्राचीन काल से ही विख्यात हैं |उन्ही महिलाओं में रानी कर्णावती का भी नाम लिया जाता है |जिसका इतिहास भी गवाह है |वह बहुत धैर्य वाली स्त्री थीं |
एक दिन जब राणा सांगा हमेशा के लिए इस दुनिया से चल बसे तो रानी ने इस घड़ी में साहस से काम लिया और हार नहीं मानी | राणा सांगा की मृत्यु के पश्चात् उनके दोनों पुत्र राजगद्दी के लिए झगड़ने लगे |ऐसे में मेवाड़ राज्य पर संकट आ गया |वहां की जनता में भी एकता नहीं रही |उनका पुत्र विक्रमजीत सिहांसन पर बैठा परन्तु वह निक्कमा निकला |
जब गुजरात के बादशाह बहादुर शाह ज़फर को मेवाड़ की स्थिति का पता चला तो उसने इसका फायदा उठाने की चाल चली |मौका पाते ही उसने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया |
ऐसे विकत स्थिति में जब नाकाबिल शासक की वजह से राज्य पर संकट आया तब रानी कर्णावती ने अपनी राजनितिक कुशलता का परिचय देते हुए संकट का सामना करने की हिम्मत दिखाई |
उन्हीं दिनों दिल्ली में मुग़ल बादशाह हुमायूँ सत्तारूढ़ था |वह हमेशा से मेवाड़ से मेल बढ़ाना चाहता था और उसकी सहायता के लिए तत्पर रहता था |यह बात रानी कर्णावती को भली -भांति पता थी ||राणा के जीवित रहते समय से वह मेवाड़ से दोस्ती बढ़ाना चाहता था |लेकिन राणा को यह पसंद नही था |
अब रानी कर्णावती ने इसको अपनी शुभ घड़ी मानते हुए जब उन पर बहांदुर शाह ज़फर ने आक्रमण किया तो हुमायूँ को अपना भाई मानते हुए रेशम के धागों के साथ यह सन्देश पहुँचाया –
“मैं मुसीबत की घड़ी में हूँ |बहादुर शाह ने हमारे राज्य पर आक्रमण कर दिया है |मेरी आपसे हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि मुझे और मेरे राज्य को बहादुर शाह से बचाओ |आज से मैं तुम्हें अपना भाई मानती हूँ |मैंरेशम के धागे भेज रही हूँ ,तुम इन्हें अपनी कलाई पर बाँध लेना |
मुझे उम्मीद है आप अपना फ़र्ज़ निभाओगे और अपनी बहन की रक्षा करोगे |मेरी उम्मीद पर ठोकर न लगे |भाई बहन के प्यार की ज्योति हमेशा कायम रहे और सदा जलती रहे |”
रेशम के धागे पाते ही हुमायूँ खुश हुआ |उसने अपनी कलाई पर धागों को सजा लिया और जवाब स्वरूप यह सन्देश भेजा –
“मैं तुम्हे अपनी बहन स्वीकार करता हूँ |मैं बहुत जल्दी तुम्हारी रक्षा के लिए आऊंगा |घबराना मत ,रेशम के धागे का फ़र्ज़ तुम्हारा यह भाई अवश्य निभाएगा |”
जब रानी को हुमायूं का यह सन्देश मिला वह फूली नहीं समाई |उसके हौसले बुलंद हो गये |अब वह अकेली नहीं थी वरन एक भाई उसके साथ था |
बस तभी से रक्षा बंधन का यह पर्व मनाया जाता है |रानी हिन्दू थीं और हुमायूँ मुग़ल सम्राट था |इस कदम से हिन्दू -मुग़ल के बीच की धार्मिक कट्टरता को कम करने में सहयोग मिला |अर्थात यह त्यौहार भाई -चारा बढाने में भी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
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कभी बहनें हमसे लड़ती है, कभी हमसे झगड़ती हैलेकिन बहनें हीं, हमारे सबसे करीब होती हैइसलिए तो बिना कहे, बहनें हमारी सारी बातें समझती है.
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बहन कभी नहीं मांगती है, सोने-चाँदी के हारउसे तो सिर्फ चाहिए, भाई का प्यार-दुलार.
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देखो राखी का त्योहार आया…अपने साथ प्यार की सौगात लाया
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सावन भाई-बहन के रिश्ते को फिर से हरा-भरा करने पूर्णिमा के चाँद के साथ आया है.राखी… भाई की वचनबद्धता और बहन की ममता, दुलार अपने संग लाया है.
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राखी लेकर आए….. आपके जीवन में खुशियाँ हजाररिश्तों में मिठास घोल जाए, ये भाई-बहन का प्यार
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यूँ तो राखी में हर किसी की कलाई भरी होती हैपर बहन न होने का दर्द उससे पूछो………….जिसकी कलाई राखी के दिन सूनी पड़ी होती है……….
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देखो इस राखी की ताकत को……..जो भाई किसी के आगे नहीं झुकता हैवो भी झुकता है, अपनी बहन के आगे
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माना हमसे थोड़ा लड़ती, थोड़ा झगड़ती हैं बहनेंपर फिर भी सबसे अच्छी होती हैं बहनें.
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सावन धरती के साथ-साथ हमारे मन और रिश्तों को फिर हरा-भरा करने आया हैवह पूर्णिमा के पूरे चाँद की रौशनी भी अपने साथ लाया हैराखी भाई की वचनबद्धता, बहन के प्यार, दुलार और ढेरों आशीर्वाद अपने साथ लाया है.
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राखी का त्योहार धूमधाम से मनाइए. लेकिन हो सके तो ये भी सोचना कि :
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तुम्हारी बहन अपनी रक्षा के लिए क्यों दूसरों पर निर्भर रहे ?
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क्या कभी इस बारे में सोचा है आपने कि Self Defense की Training आपकी बहन के लिए फायदेमंद होगी ? न छेड़खानी का डर रहेगा, न उसकी सुरक्षा का.
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क्या कभी ये सोचा है कि आपकी बहन का Economically Independent होना उसे भविष्य में पैसे के लिए किसी के आगे हाथ फ़ैलाने नहीं देगा ?
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जब आपकी बहन Economically Independent होगी तो आपको उसके लिए Well Settled लड़का नहीं ढूँढना होगा…… आप किसी अच्छे लड़के से अपने बहन की शादी करवा पाएंगे.
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हमारे भाई जितना प्यार हमें कोई नहीं कर सकता Happy Raksha Bandhan to my dearest brother!!
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मेरा भाई मेरे जिगर का टुकड़ा happy raakhi
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कभी हमसे लड़ती है, कभी हमसे झगड़ती है, लेकिन बिना कहे हमारी हर बात को समझने का हुनर भी बहन ही रखती है।
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होली colorfull होती है , दिवाली lightfull होती है और राखी है जो powerfull relationship होती है.. happy raakhi
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रिश्ता है जन्मों का हमारा , भरोसे का और प्यार भरा ,चलो भईया, इसे बाँधे राखी के अटूट बँधन में … Happy Raksha Bandhan to my dearest brother!!
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राखी कर देती है, सारे गिले-शिकवे दूर …इतनी ताकतवर होती है कच्चे धागों की पावन डोर
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याद है हमारा वो बचपन , वो लड़ना – झगड़ना और वो मना लेना ,यही होता है भाई – बहन का प्यार ,और इसी प्यार को बढ़ाने के लिए आ रहा है रक्षा बंधन का त्यौहार। …
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