एकता में बल :-
एक किसान था |उसके चार बेटे थे |वे चारों आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे |इस वजह से किसान बहुत दुखी रहता था |उसने अपने बेटों को बहुत समझाया परन्तु वे नहीं मानते थे |कुछ वर्षों पश्चात किसान बूढा हो गया |उसने अपने बेटों को समझाने के लिए एक उपाय सोचा |किसान ने अपने चारों बेटों को अपने पास बुलाया और उनसे जंगल से एक एक लकड़ी का गट्ठर लाने को कहा |चारो बेटे एक एक लकड़ी का गट्ठर ले आये |फिर किसान ने एक गट्ठर खोलकर चारों बेटों को एक एक लकड़ी देते हुए कहा कि इसे तोड़ कर दिखाओ |चारों बेटों ने आसानी से लकड़ी तोड़ दी |फिर किसान ने बारी बारी से एक गट्ठर चारों को दिया और कहा की अब इसको तोड़ो |चारों बेटों में से कोई भी उस गट्ठर को नहीं तोड़ पाया |अब उसके बेटों से उसने कहा -जिस प्रकार एक लकड़ी को तुम लोगों ने आसानी से तोड़ दिया उसी तरह दुनिया वाले तुम्हे अकेला समझ आसानी से तुम्हे कमजोर समझ कर बेवकूफ बना देंगे |और मिलजुल कर रहोगे तो कोई भी तुमको बेवकूफ नहीं बना सकता है |अब तुम लोग समझ गये होंगे कि एकता में कितना बल है |किसान के बेटों को उसकी बात समझ में आ गयी |अब वे मिल जुल कर खेती करने लगे और खूब फलने फूलने लगे |
शिक्षा :-एकता में बल है |
मेहनत का फल :-
किसी पेड़ के नीचे कुछ चींटियों ने अपना घर बना रखा था |वे बहुत समय से उसी पेड़ के नीचे रहती थी|चीटिया बहुत मेहनती थी |वे हर समय भोजन इकठ्ठा करती रहती थीं |उसी पेड़ पर एक टिड्डा भी रहता था |वह हमेशा मस्ती में रहता था |मेहनत करना उसको पसंद नहीं था |
एक बार की बात है |उस वर्ष मौसम कुछ अधिक ख़राब रहता था |चीटियों ने दिन रात मेहनत कर के बहुत सारा भोजन इकठ्ठा कर लिया |टिड्डा उनकी मजाक बनाता रहता था |तब चीटियों ने टिड्डे से कहा की तुम भी कुछ भोजन इकठ्ठा क्यों नही कर लेते जो मुसीबत के समय तुम्हारे खाने के काम आये |टिड्डे ने उनकी बात को मजाक में उड़ा दिया |
एक दिन की बात है |मौसम बहुत अधिक खराब हो गया |अधिक ठंड के कारन घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया |चीटियाँ खुश थीं क्योंकि उन के पास पर्याप्त भोजन था ,लेकिन टिड्डे के पास खाने औए रहने की जगह भी नहीं थी |वह दिन रात ठंड में भूख से तड़पता रहा |तभी उसने सोचा क्यों न चीटियों से मदद ली जाये |वह उनके पास गया और उनसे अपने पीढ़ा कही |चीटियों ने उसको बोला की जब हमने तुमको मेहनत करने के लिए बोला था तब तुमने हमारी बात को मजाक में उड़ा दिया था |तब टिड्डा बोला मुझे माफ़ कर दो बहनों |अब से मैं भी तुम लोगों की तरह मेहनत करूँगा |तब चीटियों ने उसको अपने घर में बुला कर भोजन करवाया |
शिक्षा :-मेहनत का फल मीठा होता है
ईमानदार लकडहारा :-
एक लकडहारा था |वह बहुत मेहनती था |वह रोज जंगल में लकड़ी काटने जाता था |एक दिन जब वह लकड़ी काट रहा था तभी उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई |वह बहुत दुखी हो कर बैठ गया |तभी वहां से धन की देवी गुजरी|लकडहारे को दुखी देखकर उसने उससे पूछा -तुम क्यों दुखी हो ?
लकडहारे ने कहा मेरी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई है |अब लकड़ी कैसे काटूँगा |धन की देवी ने पानिमे डुबकी लगाई और एक सोने की कुल्हाड़ी दिखा कर कहा -क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?
लकडहारे ने कहा -नहीं यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है |धन की देवी ने वापस डुबकी लगाई |इस बार उसके हाथ में चांदी की कुल्हाड़ी थी |फिर उसने लकडहारे से पुछा -क्या यह है तुम्हारी कुल्हाड़ी ?लकडहारा बोला -नहीं यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है |
देवी ने पुन; डुबकी लगाई |इस बार उसके हाथ में लकडहारे की लोहे की कुल्हाड़ी थी |तब लकडहारे ने खुश होकर कहा -हाँ यही है मेरी कुल्हाड़ी |धन की देवी उससे बहुत प्रभावित हुई और प्रसन्न होकर उसे तीनो कुल्हाड़ियाँ दे दी |
लकडहारा ख़ुशी ख़ुशी घर लौट गया|
शिक्षा -ईमानदारी का फल मीठा होता है |
रूप बड़ा या गुण :-
प्राचीन समय में उज्जैन के एक रजा हुआ करते थे जिसका नाम था विक्रमादित्य |उनके दरबार में एक कवि हुआ करते थे जिनका नाम था कालिदास |वह संस्कृत के प्रकांड पंडित थे |लेकिन राजा विक्रमादित्य जितने गौरवर्ण और सुन्दर थे ,कालिदास उतने ही कुरूप थे |रूप और गुण पर चर्चा करते हुए विक्रमादित्य ने कालिदास से पुछा की महाकवि यह बताओ कि दुनिया में रूप बड़ा होता है या गुण ?
महाकवि ने उस समय प्रश्न का उत्तर न देकर कहा -महाराज इस प्रश्न का उत्तर मैं आपको कल दूंगा |इतना कह कर वे दरबार से निकले |दरबार से निकल कर कालिदासजी सीधे सुनार के पास पहुंचे |उन्होंने सुनार से एक सोने की सुराही बनाने को कहा |
अगले दिन कालिदास जी सुराही ले कर दरबार पहुंचे |उन्होंने दरबार में रखी मिटटी की सुराही की जगह सोने की सुराही में पानी रखवाया और उसको एक कपडे से ढक दिया |राजा विक्रमादित्य दरबार में आये |सभा शुरू हुई |कुछ समय बाद राजा को प्यास लगी |उन्होंने पानी लाने को कहा |सोने की सुराही में से उनको पानी पेश किया गया |पानी पीते ही राजा गुस्से में बोले -इतना गरम पानी? इतनी भरी गर्मी में गरम पानी ? किस मूर्ख की करामात है यह |कालिदास ने खड़े होकर कहा -महाराज ! वह मूर्ख मैं हूँ |मैंने ही मिटटी की सुराही की जगह सोने की सुराही रखवाई थी |ताकि आपके सवाल का जवाब दे सकूँ |राजा विक्रमादित्य कालिदास की बात को समझ गये कि दुनिया में रूप से अधिक गुण बड़ा होता है |
शिक्षा;-व्यक्ति के बाहरी रूप से अधिक उसके गुणों का महत्व होता है |
नक़ल बड़ी या अक्ल :-
एक जंगल में एक शेर और शेरनी रहते थे |शेर बहुत आलसी था |शेरनी बहुत मेहनती थी |वह दिन भर अपने बच्चों के लिए शिकार की तलाश में घूमती रहती थी |एक दिन उसने शेर से शिकायत की कि तुम कैसे पिता हो ? बच्चे भूखे हैं और तुमको कोई परवाह नहीं है |शेर उठा और जंगल से एक शिकार कर के शेरनी और बच्चों के सामने ला कर पटक दिया |
शेर की गुफा के पास ही एक गीदड़ और गीदड़ी रहते थे |गीदड़ी ने शेर को शिकार लाते देख लिया था |वह भी शेरनी की तरह नक़ल करते हुए गीदड़ पर चिल्लाई |तुम कैसे पिता हो ?बस फिर क्या था ,गीदड़ भी शेर की नक़ल करते हुए जंगल में शिकार की तलाश में निकला |वह नहीं जानता था कि शेर शिकार करने में माहिर होता है |नक़ल करते हुए वह एक बैल पर झपटा |बैल ने तुरंत अपने सींगों से गीदड़ को उठा कर दूर फेंक दिया |
गीदड़ कराहता हुआ गीदड़ी के पास पहुंचा |गीदड़ी सारा माजरा समझ गई |उसने गीदड़ को समझाया की सफलता नक़ल नहीं अक्ल के सही इस्तमाल से होती है |अब गीदड़ को बात समझ आ गयी |
शिक्षा ;-सफलता नक़ल से नहीं अक्ल से मिलती है |
जैसे को तैसा :-
एक जंगल में एक सारस और लोमड़ी रहते थे |दोनों अच्छे मित्र थे |एक दिन लोमड़ी ने सारस को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया |तय समयानुसार सारस लोमड़ी के घर पहुँच गई |कुश समय पश्चात लोमड़ी सारस के लिए भोजन लायी |भोजन एक थालीनुमा बर्तन में परोसा गया था जिसमे से सारस की लम्बी चोंच के कारन भोजन करना मुश्किल था |सारस भूखा रह गया ,परन्तु उसने लोमड़ी से कुछ नहीं कहा |जाते जाते सारस ने भी लोमड़ी को भोजन के लिया निमंत्रण दे दिया |
अगले दिन शाम को समयानुसार लोमड़ी सारस के घर पहुँच गई |सारस एक लम्बी सुराही के मुह जैसे बरतन में भोजन ले आई |उस बर्तन में लोमड़ी का मुहँ नहीं पहुँच पा रहा था |सारस ने भरपेट भोजन किया |लोमड़ी भूखी रह गयी |जाते जाते वह समझ गयी कि जैसा मैंने सारस के साथ किया था ,वैसा ही मुझे फल मिल गया है |उसे अपनी करनी पर पछताव हुआ |
शिक्षा :- हम जैसा करते हैं हमे वैसा हे फल मिलता है |
दो बिल्लियाँ और बन्दर :-
एक बार दो बिल्लियाँ कहीं जा रही थीं |रस्ते में उन्हें एक रोटी मिली |रोटी को देख कर वे दोनों आपस में झगड़ने लगीं |दोनों का कहना था की रोटी मेरी है |दोनों को लड़ते हुए देख कर एक बन्दर आया और पुछा की तुम दोनों क्यों लड़ रही हो ?
जब दोनों ने रोटी को अपना बताया तो बंदर बोला -लाओ मैं तुम्हारा न्याय कर देता हूँ |बिल्लियाँ सहमत हो गई |बन्दर ने रोटी के दो टुकड़े किये |फिर बोला -इनमे से एक टुकड़ा थोडा बड़ा हो गया है ,और उसमे से एक टुकड़ा तोड़ कर खा लिया |इस तरह थोडा -थोडा कर के उसने पूरी रोटी खा ली |बिल्लियाँ देखती हे रह गयीं|
शिक्षा :-आपस की लड़ाई में दूसरों को शामिल नहीं करना चाहिए |
लालची कुत्ता
एक कुत्ता बहुत भूखा था |भोजन की तलाश में वह इधर -उधर घूम रहा था |तभी उसको रोटी का एक टुकड़ा मिला |टुकड़े को वह आराम से खाना चाहता था ,इसलिए वह जंगल की ओर चल दिया |जंगल के रास्ते में एक पुल था |पुल पर एक नदी थी |कुत्ते ने पुल पर से नीचे पानी में झाँका |पानी में उसको अपनी परछाई दिखी |अपनी परछाई को उसने दूसरा कुत्ता समझ लिया |जैसे ही उसने परछाई पर भौंखने के लिए मुह खोला ,उसके मुह में से रोटी का टुकड़ा पानी में गिर गया |कुत्ता भूखा ही रह गया |
शिक्षा :-लालच बुरी बला है |
वफादार सेवक
एक बार एक राजा और बंदर की दोस्ती हो गई |बन्दर हमेशा राजा के साथ हे रहता था |एक दिन जब राजा सो गया तब बन्दर भी वहीँ पर बैठ कर ऊंघने लगा |उसी समय एक मक्खी खिड़की से उड़ कर राजा के आस पास मंडराने लगी |और अंत में राजा की नाक पर जाकर बैठ गई |बन्दर रजा के बिस्तर के पास हे बैठा था |उसने मक्खी को भगाने का प्रयास किया ,लेकिन मक्खी बार -बार उड़ कर राजा की नाक पर ही बैठ रही थी |
अब बन्दर ने रुमाल की सहायता से मक्खी को उडाना शुरू किया ,लकिन मक्खी फिर से राजा की नाक पर जा कर बैठ गई |बस फिर क्या था |अब बन्दर को गुस्सा आ गया |उसने मख्ही को सबक सिखाने के लिए अपनी तलवार निकाली और मक्खी पर वार किया |मक्खी तो उड़ गई पर तलवार से मक्खी की जगह सोये हुए राजा की नाक कट गई |रजा दर्द से कराहता,चीखता उठ गया |
शिक्षा ;-जिसका काम उसी को साधे |
सच्ग्ची मित्रता
अमन और राजू नाम के दो दोस्त थे |वे दोनों बहुत गरीब थे |अमन के पैर खराब थे और राजू देख नहीं सकता था |उन के माता -पिता दिन भर मेहनत कर के जीवन यापन करते थे ,इस कारण अमन और राजू स्कूल भी नही जा पाते थे |एक दिन अमन को एक उपाय सूझा |उसने राजू से कहा -क्यों न हम दोनों एक दुसरे की मदद कर के स्कल चलें ? राजू ने पूछा -वह कैसे ?
अमन ने राजू को समझाया कि तुम मैं तुमको पाठ पढ़ कर सुना दूंगा और तुम मुझे अपने कंधे पर बैठा कर स्कूल ले चलना |राजू को अमन का उपाय पसन् आया |अगले दिन दोनों स्कूल पहुँच गये |अध्यापकों ने जब उनकी बात सुनी तो उनको शाबाशी देते हुए स्कूल में दाखिला दे दिया |इस प्रकार दोनों स्कूल जाने लगे |
शिक्षा ;-मुसीबत में साथ देने वाला हे सच्चा मित्र होता
समझदार गड़ेरिया
एक राजा था |अपने खाली समय में उसको चित्रकारी करने का बहुत शौक था |एक दिन जब वह शिकार करते करते थक गया तो ,वह चित्रकारी करने बैठ गया |उसने बहुत सुन्दर चित्र बनाया |उस चित्र को वह हर दिशा से देख कर बहुत खुश हो रहा था क्योंकि चित्र हर दिशा से बेहद सुन्दर लग रहा था |शाम का समय होने के कारण चित्र की सुन्दरता और भी बढ़ गयी थी |चित्र को देखते देखते वह इतना खो गया की उसको ध्यान ही नही रहा की वह एक पहाड़ी की नुकीली छोटी पर पहुँच चुका है |
तभी एक गड़ेरिया की नज़र राजा पर पड़ी |वह भागता हुआ राजा के पास पहुंचा और चित्र को राजा से छीन कर फाड़ दिया |रजा बहुत क्रोधित हुआ और उससे चित्र फाड़ने की वजह पूछी |गड़ेरिया बोला यदि मैं यह चित्र आपसे नही छीनता तो आप की जान चली जाती |राजा ने ज्यों हे अपने आस -पास नज़र दौड़ाई ,वह डर गया |क्योंकि वह ऐसी जगह पर खड़ा था जहाँ से एक कदम आगे बढ़ाते हे नीचे गिर जाता और उसकी जान चली जाती |उसने गड़ेरिये को जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया |
शिक्षा :-किसी भी कार्य को करते समय मस्तिष्क की उपस्तिथि भी आवश्यक है |
चालाक लोमड़ी
एक लोमड़ी थी |वह बहुत भूखी थी |भोजन की तलाश में वह भटकने लगी |तभी एक पेड़ पर एक कौवा बैठा दिखाई दिया |उसकी चोंच में रोटी का टुकड़ा था |लोमड़ी ने कौवा को देखा तो रोटी का टुकड़ा लेना चाहा|उसने कौवा को कहा -कौवा भाई तुम्हारी आवाज़ में तो जादू है |तुम्हारी आवाज़ बहुत सुरीली है |कृपया एक बार अपनी सुरीली आवाज़ में कोई गाना तो सुनाओ |
इतना सुनते ही कौवा खुश हो गया |उसने जैसे ही गाना सुनाने के लिए अपनी चोंच खोली ,उसके चोंच में दबा रोटी का टुकड़ा ज़मीन पर गिर गया |लोमड़ी ने झट से रोटी उठाई और भाग गई |कौवा पछताता रह गया |
शिक्षा :-हमे लोगों की मीठी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए |
गधे की छाया
एक बार एक व्यक्ति को कहीं दूर जाना था |गर्मी के दिन होने के कारण पैदल चलना मुश्किल था ,इसलिए उसने एक गधा किराये पर ले लिया भोर होने के बाद वह व्यक्ति और गधा तथा उस गधे का मालिक चल पड़े |व्यक्ति गधे पर बैठ गया और उसका मालिक उसको आगे की तरफ ले कर चल रहा था |चलते -चलते दोपहर हो गई |वे विश्राम के लिए छाया ढूंढने लगे |लेकिन उनको कहीं छाया नहीं मिली |वह व्यक्ति गधे से नीचे उतर कर उसके शारीर की छाया में बैठ गया |गधे का मालिक भी आराम करना चाहता था ,इसलिए वह बोला -तुम यहाँ नहीं बैठ सकते |यह गधा मेरा है और इसकी छाया में भी मैं ही बैठूँगा |
इस पर व्यक्ति को गुस्सा आया |वह बोला -मैंने यह गधा आज के लिए तुमसे किराये पर लिया है ,इसलिए यह और इसकी छाया भी मेरी है |इस पर दोनों का विवाद बढ़ गया |दोनों इसी बात पर उलझते रहे |गर्मी की अधिकता से गधा परेशान हो गया था |वह छाया की तलाश में वह आगे भाग गया \दोनों व्यक्तियों को पता ही नहीं चला की जिसकी छाया के लिए वे दोनों लड़ रहे हैं ,वह कब की उनसे दूर हो गई |
शिक्षा -बेकार वस्तुओं के लिए लड़ने से हम अच्छी वास्तु भी खो देते हैं |
भेड़िया और मेमना
एक बार एक मेमना प्यासा था |वह पानी पीने के लिए एक झरने के पास पहुंचा |वही झरने के पास एक भेड़िया भी पानी पीने आया |मेमना को देख कर उसको खाने का मन हुआ |वह सोचने लगा की इसको कैसे बातों में उलझाऊ|इसलिए वह मेमने के पास जाकर पानी पीने लगा |वह उसी तरफ पानी पी रहा था जिस तरफ मेमना पी रहा था |तभी उसने मेमने पर गुर्राते हुए बोला -तुम मेरे पीने वाले पानी को गंदा क्यों कर रहे हो ? मेमना डर गया |वह बोला -मई पानी गंदा नहीं कर रहा ,बल्कि तुम्हारी और से आने वाला पानी मेरी तरफ आ रहा है |इस पर भेड़िया बोला -तुम मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो ? तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हो गई है ?तुम मुझसे जुबां लदा रहे हो ? इसकी सजा तुमको अवश्य मिलेगी |इतना कह कर वह मेमना पर झपट पड़ा ,और उसको खा गया |
शिक्षा -धूर्तों से हमेशा बचना चाहिए |
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गिरता आसमान :-
एक खरगोश था |वह बहुत डरपोक था |ज़रा सी आहट होते ही वह डर जाता |एक दिन जब वह एक आम के पेड़ के नीचे सो रहा था ,तभी एक आम उस के सिर पर गिरा |वह घबरा कर भागने लगा |रास्ते में लोमड़ी ,हिरन ,भालू ,हाथी सभी जानवर ने जब उसको भागते हुए देखा तो उन्होंने उससे पूछा -क्यों भाग रहे हो ? खरगोश ने डरते हुए जवाब दिया “-आसमान गिर रहा है “यह सुन कर अन्य जानवर भी उस के साथ भागने लगे |पूरा जंगल जानवरों के दौड़ने की आवाज से गूँज उठा |
तभी रास्ते में ज़ेबरा ने पूछा -तुम सब लोग क्यों भाग रहे हो ?हाथी ने जवाब दिया -“तुम भी भागो ,आसमान गिर रहा है |हम सब जंगल के रजा शेर को बताने जा रहे हैं कि आसमान गिर रहा है |हमको बचाओ |”
ज़ेबरा भी उन क साथ भागने लगा |जैसे ही वे शेर के पास पहुंचे ,शेर ने दहाड़ कर पूछा -“तुम सब ऐसे घबरा कर क्यों भाग रहे हो |” खरगोश ने शेर को साड़ी बात बता दी |शेर बोला -मुझे उस जगह ले चलो जहाँ तुमने आसमान को गिरते देखा |खरगोश और अन्य जानवर शेर को उस आम के पेड़ के नीचे ले गये |शेर ने वहां एक आम गिरे हुए देखा |उसने उसे उठाया उअर खरगोश से कहा -यह आम तुम्हारे सिर पर गिया और तुमने सोचा की आसमान गिर रहा है |आवर तुम सब ने बिना जाने इसकी बात पर विश्वास कर लिया ?यह जानने की कोशिश भी नहीं की कि सच्चाई क्या है |सभी जानवर इस बेवकूफी पर शर्मिंदा हुए |
शिक्षा -सुनी हुई बात पर विश्वास करने से पहले सच्चाई जान लेनी चाहिए |
बिल्ली के गले की घंटी :-
एक बार की बात है |एक शहर में एक बेकरी की दूकान थी |उस दूकान में बहुत से चूहे थे |वे रोज बेकरी में से केक,पेस्ट्री,मक्खन ,मिठाइयाँ ,पनीर आदि की दावत उड़ाते थे |बेकरी का मालिक चूहों से बहुत परेशान था |उसको किसी ने कहा की बिल्ली पाल लो |वह चूहों को खा जाएगी |मालिक ने एक बिल्ली पाल ली |बास रोज़ बिल्ली चूहों को खाने लगी |एक दिन चूहों ने सभा में चिंता जताई की इस बिल्ली ने तो परेशान कर दिया है |कुछ उपाय करना होगा |तभी एक चूहा बोला -क्यों न बिल्ली के गले में घंटी बाँध दी जाये ,ताकि वो जब भी ए हमको पता चल जाये ,और हम छुप जाएँ |
एक बुजुर्ग चूहे को यह उपाय अच्छा लगा |वह बोला कि सवाल यह है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बंधेगा ? जो भी गले में धंटी बांदने जायेगा बिल्ली उसको खा जायेगी |यह सुनकर शान्ति छा गई |क्योंकि इस विषय में तो किसी ने सोचा हे नहीं था |तभी बिल्ली आती दिखाई दी |बुजुर्ग चूहे ने सबको सावधान कर दिया |सब चूहे सुरक्षित स्थान पर छुप गये |
शिक्षा :-योजना बनाते समय उस के परिणाम पर भी अमल कर लेना चाहिए |
लोमड़ी और मुर्गा :-
एक लोमड़ी थी |वह बहुत भूखी थी |तभी उसने पेड़ की एक डाल पर एक मुर्गे को बैठे हुए देखा |मुर्गे को फंसाने के लिए वह चाल सोचने लगी |थोड़ी देर बाद वह पेड़ के पास पहुंची और बोली -“प्यारे मुर्गे एक नयी खबर पता है ?”
मुर्गे ने कहा -“नहीं पता है |तुम बताओ न |”
तब लोमड़ी बोली -“कल रात आकाशवाणी हुई है कि अज से सभी प्राणी और जानवर शांति से रहेंगे |अब सब दोस्त हैं |कोई किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाएगा |इसलिए अब तुम नीचे आ जाओ |हम अपनी दोस्ती की शुरुआत करते हैं |”
मुर्गा लोमड़ी की चालाकी समझ गया |उसने सोचने का नाटक करते हुए कहा -“अरे हाँ !यह खबर तो मैंने भी सुनी है |चलो तुम्हारे बाकी दोस्तों को आने दो फिर अपन मिल कर उत्सव मनाएंगे |”
दोस्त ? कौनसे दोस्त ?'” लोमड़ी ने पूछा |
“अरे वही ,शिकारी कुत्ते ” मुर्गे ने उत्तर दिया |कुत्तों का नाम सुनते ही लोमड़ी डर से कांपने लगी |तब मुर्गे ने पूछा-” तुम इतना काँप क्यों रही हो?”अरे , अब वो हमारे मित्र हैं |”
“परन्तु ऐसा हो सकता है की उनको यह खबर पता ही न हो |” इतना सुनते हे लोमड़ी वहां से भाग गई |उसको भागते देख कर मुर्गा अपनी हंसी नहीं रोक पाया |
शिक्षा -धूर्त की बातों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए |
सुन्दर कौन
एक बारह सिंगा था |वह पानी पीने के लिए एक तालाब के पास गया |पानी पीते हुए उसने अपनी परछाई देखी|परछाई में उसको अपने सींग मुकुट के समान सुन्दर लगे |वह अपने को राजा समझने लगा |वह जंगल के जानवरों से भी ठीक से बात नहीं करता क्योंकि उसको लगा की सब उसको राजा मानते हैं |लेकिन जब उसकी नज़र पैरों पर पड़ी ,उसको गुस्सा आया |क्योंकि उसके पैर पतले और बदसूरत थे |
एक दिन उसने चीते से झगड़ा कर लिया |सभी जानवर उस से परेशान रहने लगे |जानवरों ने शेर के पास जाकर उसकी शिकायत की |शेर ने जानवरों से कहा कि-“तुम लोग जाओ ,मैं बारहसिंगे से बात करता हूँ |शेर ने उसको बोला की तुम सब से झगड़ते क्यों हो ? बारहसिंगे ने घमंड के कारण शेर को बोला -“यह मेरी मर्जी है |मैं जो चाहूँगा ,करूँगा |तुम कौन हो पूछने वाले ?’ जंगल का राजा मैं हूँ |”
शेर को गुस्सा आ गया | शेर बोला -“तेरी इतनी हिम्मत ?ठहर जा ,मैं अभी तुझे मज़ा चखता हूँ |”इतना कह कर शेर उस के पीछे भागा |बारहसिंगा जान बचाने के लिए भागने लगा |तभी वह आगे निकल गया |शेर थक कर थोडा रुक गया |तभी बारहसिंगे के सींग एक झाडी में उलझ गये |अब उसकी जान पर बन आई |उसने पैरों से बार बार जोर लगाया और झाड़ी जड़ से उखड गई |तब वह जान बचाकर भागने में सफल हुआ |उसको पता चल गया की जिन पैरों को वह बदसूरत समझता था ,आज उन्हीं की वजह से उसकी जान बच गई |
शिक्षा -असली सुन्दर वही है जो मुसीबत के समय काम आये |
गधा और कुम्हार
एक कुम्हार था |उसने एक कुत्ता और एक गधा पाल रखा था |गधा बाज़ार से सामान लाने ले जाने का काम करता और कुत्ता घर की रखवाली करता |लेकिन कुम्हार गधे से बहुत काम करवाता था |यह बात गधे को पसंद नहीं थी |वह सोचता कि मैं धुप में दिन भर काम करता रहता हूँ ,फिर भी कुम्हार कुत्ते को अधिक प्यार करता है |वह कुत्ते को तो मांस,दूध ,रोटी देता है पर मुझे रूखा -सूखा भोजन देता है |यह पक्षपात क्यों ?एक दिन गधे ने सोचा की क्यों न मई भी कुत्ते की नक़ल करूँ ? जैसे ही कुम्हार गधे के सामने आया ,गधा कुत्ते की तरह उछलने लगा |अपनी पूंछ हिलाने लगा |कुम्हार को चाटने लगा |
गधे को यह सब करते देख कर कुम्हार ने सोचा इसको कुछ हो गया है |लगता है इसकी पिटाई करनी पड़ेगी कुम्हार ने अपना डंडा उठाया और गधे की पिटाई शुरू करदी |बास फिर गधे को अपनी गलती समझ में आ गयी |इसके बाद उसने नक़ल करने की सोची भी नहीं |
शिक्षा -हम जिस हाल में हैं ,उसी हाल में खुश रहना चाहिए |
नकलची कौवा
एक बाज़ था |वह बड़ी चतुराई से शिकार करता था |वह पहले बहुत ऊंचाई पर उड़ कर भ्रम पैदा करता कि वह अधिक ऊंचाई पर होने के कारन शिकार नहीं कर रहा |किन्तु थोड़ी देर में वह तेज़ी से नीचे आ कर छोटे जानवरों पर धावा बोलता और उनको पंजों में दबा कर शिकार कर लेता |
बाज़ की इस चतुराई को एक कौवा रोज़ देख रहा था |उसको देख कर कौवा ने सोचा कि बाज़ की तरह मई भी एक पक्षी हूँ |फिर मैं क्यों इस तरह शिकार नहीं कर सकता |अगले दिन उसने जैसे हे बाज़ की नक़ल करते हुए शिकार पर झपटा मारा ,अधिक गति में होने के कारन वह संभल नहीं पाया और ज़मीन से शिकार उठाने की बजाय एक चट्टान से उसकी चोंच टकराई और कौवा वहीँ धराशाई हो गया |
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