तूफ़ान आने के कारण :
आज से दो हे दिन पूर्व फोनी या फानी नामक तूफ़ान ने कहर बरपाया और आज भी यह पूरी तरह थमा नहीं है |जिस तरह प्रकृति हमे सब कुछ देकर खुश रखती है .वैसे हे वह कहर बरपा कर चंद मिनटों में हमे तबाह करने की क्षमता भी रखती है |उसका प्रकोप हमे बाढ़ ,सूखा ,भू-स्खलन ,और भयंकर तुफानो के रूप में देखने को मिलता है |
अब प्रश्न यह उठता है कि प्रकृति के ये प्रकोप होते क्यों हैं ?अर्थात 2 दिन पूर्व आये और समय -समय पर आने वाले तूफानों का कारन क्या है ?तूफ़ान आने के कारणों में एक प्रमुख कारन है भौगोलिक और प्राक्रतिक कारण |जिसके अंतर गर्त वायुमंडल का दबाव आस पास के दबाव से अचानक कम हो जाता है ,इस दशा में आस पास के क्षेत्र की हवाएं उस कम दबाव के क्षेत्र में तेज़ी से आने लगती हैं ताकि दबाव बराबर हो जाये |इस दशा में आसमान में अक्सर घने बदल छा जाते है तथा तेज़ आंधी के साथ भयंकर बारिश होते लगती है |इस से पानी का स्तर बढ़ने लगता है और सब कुछ अस्त- व्यस्त होने लगता है |तटीय इलाकों में अधिक होता है |
तूफानों के नाम :
यों तो हर तूफ़ान को कोई न कोई नाम दिया जाता है लेकिन यह किस आधार पर दिया जाता यह जान लेना जरूरी है |”विश्व मौसम विज्ञान संगठन” ने सबसे पहले चक्रवाती तूफानों के नाम रखने की पहल की थी |2004 में भारत में भी तूफानों के नाम रखने शुरू हुए | पहले यह नाम सिर्फ स्त्रीलिंग में हुआ करते थे ,किन्तु बाद में महिला संगठनो द्वारा विरोध किये जाने पर अब यह नाम पुरुषों के नाम पर भी रखे जाने लगे हैं |उत्तरी प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत के साथ -साथ श्री लंका ,पाकिस्तान ,बांग्लादेश ,ओमान ,मालदीव ,म्यांमार और थाईलैंड भी तूफानों के नाम रखने का सुझाव देने लगे |इन 8 देशों की और से सुझाये गये नामों के पहले अक्सर के अनुसार क्रम निर्धारित कर के तूफानों का नाम रखा जाता है |
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फोनी या फानी का अर्थ :
फोनी शब्द बांग्लादेश द्वारा सुझाया गया शब्द है ,जिसका अर्थ है सांप | तूफ़ान आने के दिन एक कन्या का जनम होने पर उसका भी नाम फोनी रख दिया गया |इस तूफ़ान ने बहुत कहर बरपाया है |समुद्र में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगी |किनारों को पार कर के लहरों ने अपना तांडव दिखाया हज़ारों परिवार बेघर हो गये |यातायात ठप्प हो गया |संचार व्यवस्था गड़बड़ा गई |
इस तूफ़ान से सर्वाधिक बर्बादी ओडिशा में हुई |इसके साथ बंगला देश, भुवनेश्वर ,और आंध्र प्रदेश को भी नुक्सान हुआ है |इसकी रफ़्तार 175से २०० किलोमीटर प्रति घंटे थी |बंगाल पहुचने से पहले यह कमज़ोर पड़ गया |
उपसंहार :
जब तक दुनिया है तब तक प्रकृति अपने रूप बदलती रहेगी |जिसमे हमारा भी योगदान है |मनुष्य ने प्रकृति का दोहन कर के इसके वजूद को नुक्सान पहुचाया है |आज हमे यह चेतवानी स्वरूप बढ़ और तूफ़ान ला कर जागरूक बना रही है ,लेकिन हम फिर भी इस से छेड़छाड़ करने से बाज़ नहीं आते हैं |जिसका भयंकर परिणाम सामने आते रहते हैं |आवश्यकता है इसकी रक्षा करने की |सचेत रहने की |अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा |
[…] फानी तूफ़ान का कहर | […]