सुर कोकिला लता मंगेशकर की जीवनी Biography of Lata Mangeshkar in hindi –
” नाम गुम जायेगा ,चेहरा ये बदल जायेगा ,मेरी आवाज ही पहचान है |”जी हाँ हम बात कर रहे हैं दुनिया भर में मशहूर सुरों की मलिका लता मंगेशकर की |आज हम आपको भारत कोकिला लता मन्गेश्कर के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं |यों तो लता मंगेशकर किसी पहचान की मोहताज़ नहीं है |लेकिन बहुत लोग उनके जीवन के बारे में नहीं जानते हैं |वे केवल उनकी आवाज से ही उन्हें पहचानते हैं | क्योंकि जैसा की उनका एक मशहूर गाना भी है कि मेरी आवाज़ ही पह्चान है |
लता मंगेशकर की सुरीली आवाज का जादू भारत में ही नहीं वरन पूरी दुनिया में चलता है |उन्होंने भारतीय संगीत को जो ऊँचाई प्रदान की है वह शायद ही कोई दे पायेगा |संगीत में यदि लता जी का जिक्र नहीं हो तो वह संगीत ही अधूरा है |उनकी दिल को छू लेने वाली आवाज़ हर किसी को मन्त्र -मुग्ध कर देती है
लता जी ने सदियों तक संगीत की दुनिया में अपन वर्चस्व बनाये रखा |उनका कोई भी गाना सुन लो हर गाना उनकी आवाज़ का कायल है |उनकी आवाज़ को लेकर कई रिसर्च भी हुई है जिसका निष्कर्ष यही निकला कि लता जैसी आवाज न तो कभी किसी की थी और न ही कभी होगी |
लता मंगेशकर भारत वर्ष की एक सम्मानित ,प्रसिद्द सिंगर और कंपोजर के रूप में जानी जाती हैं |हाल ही में 28 सितम्बर को उन्होंने अपने जीवन के 90 वर्ष पूर किये |जब वे मात्र 13 वर्ष की थीं तभी उन्होंने गाना शुरू कर दिया था |उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर ने जो एक क्लासिकल सिंगर ,थिएटर अभिनेता और एक ज्योतिषी हुआ करते थे ,यह भविष्यवाणी की थी लता को परिवार को सम्भालना होगा और उसकी शादी भी नही होगी |
पिता की यह बात सही साबित हुई |उनके पिता की मृत्यु के समय लता महज 13 वर्ष की ही थीं |और परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारी उन पर आ गई |उनके पिता को ह्रदय सम्बन्धी बिमारी के कारण इस दुनिया को छोड़ कर जाना पडा |लता के परिवार में चार और छोटे भाई -बहन मीना ,आशा ,उषा और हृदयनाथ थे जिनकी ज़िम्मेदारी लता पर बहुत छोटी उम्र में आ गई |
लता जी का जीवन बहुत अधिक संघर्षों में बीता है |जैसे आग में तपने के बाद ही सोना निखर कर आता है वैसे ही संघर्षरत लता की आवाज़ भी अधिक निखर कर आई |लेकिन उन्होंने हर नहीं मानी |आज उनका जीवन एक मिसाल है |
लता जी को सबसे अधिक गाने रिकॉर्ड करने वाली संगीत कलाकार के रूप में जाना जाता है |उन्होंने सर्वाधिक गाने हिंदी और मराठी भाषा में गाये |लेकिन विदेशी भाषाओँ में भी उन्होंने गीत गाये |लता जी ने 1000 से भी अधिक हिंदी फिल्मो के गाने और लगभग 36 से अधिक अन्य भाषाओँ में गाने गाये | 30 ,000 से अधिक गानों को गाने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम है |
लता जी का जीवन परिचय –
लता जी का पूरा नाम लता दीनानाथ मंगेशकर था |उनका जन्म 28 सितम्बर 1929 को हुआ था |उनके पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर था तथा माता का नाम शेवंती मंगेशकर था |इनकी तीन बहने है जिनके नाम आशा भोंसले ,उषा मंगेशकर तथा मीना मंगेशकर हैं |इनके एक भाई है जिनका नाम है हृदयनाथ मंगेशकर |लता जी अविवाहित हैं |
प्रारंभिक जीवन –
लताजी का जनम एक मराठी परिवार में हुआ था |इनका जनम इंदौर में हुआ था |अपने पिता से इन्हें संगीत विरासत स्वरुप मिला था क्योंकि वे एक क्लासिकल गायक और रंगमंच अभिनेता थे |शुरुवात में लता जी को भी अभिनय हेतु मौका मिला लेकिन उनको बनावट पसंद नहीं थी |अत: उन्हे अभिनय करना रास नहीं आया |
उन्होंने गाने में अधिक दिलचस्पी दिखाई |एक बार जब उनके पिता संगीत की शिक्षा लेने आये छात्रों को कुछ समय के लिए अकेले छोड़ कर बाहर गये तो लता वहां पहुँच गई जहा एक छात्र रियाज़ कर रहा था |लेकिन वह एक सुर को बार -बार गलत गा रहा था |तभी लता ने उसको सुधारते हुए सही सुर बताया | उसके पिता पीछे खड़े होकर सब देख रहे थे |तभी वे बोले की मैं तो बाहर के बच्चों में सुर साधक ढूंढ रहा हूँ |असली सुर -साधक तो मेरे घर में ही है |तब से लता को भी संगीत की शिक्षा दी जाने लगी |
बचपन में लता जी को हेमा नाम से पुकारा जाता था |बाद में उनके पिता ने उनको लता नाम से नाम दे दिया जो कीर्ति के झंडे गाड़ने में स्तम्भ साबित हुआ |लता जी अपने माता -पिता की सबसे बड़ी अर्थात पहली संतान रहीं |इसलिए उनके पिता के देहावसान के समय जब लता जी मात्र 13 वर्ष की ही थी तभी से उन पर परिवार को चलाने की ज़िम्मेदारी आ गयी थी |
संगीत में लता जी करियर –
लता जी ने अपना पहला गाना महज 13 वर्ष की आयु में सन 1942 में गाया जब उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी |यह एक मराठी फिल्म थी जिसका नाम था – किती हसाल “|और गाने के बोल थे ‘‘नाचू या ना गड़े खेडू सारी ,मानी हौस भारी “|इस गाने को कंपोज़ करने वाले थे सदाशिवराज |लेकिन जब इस फिल्म की एडिटिंग की गई तब इस गाने को फिल्म से ही निकाल दिया गया |
लता जी ने चाहे मराठी गाने से अपने संगीत करियर की शुरुआत की लेकिन यह किसी को भी अनुमान नहीं था कि यह लड़की आगे चल कर लोगों के दिलों पर राज करेगी |जब इनके पिता के दोस्त ने इन्हें फिल्मों में गाने और किरदार दिला कर मदद की तब से लता जी का करियर आगे बढ़ने लगा |
लता मंगेशकर के बारे में तथ्य
नाम | लता मंगेशकर |
पूरा नाम | लता मंगेशकर |
उप नाम | बॉलीवुड की नाइटिंगेल |
जन्म की तारीख | 28 सितंबर 1929 (90 वर्ष) |
जन्म स्थान | इंदौर |
राशि – चक्र चिन्ह | तुला |
कद | |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | पार्श्व गायक (प्ले बैक सिंगर) |
पिता का नाम | पंडित दीनानाथ मंगेशकर |
माता का नाम | शेवंती (शुधमाती) |
वैवाहिक स्थिति | |
निवास का पता | |
गृहनगर | |
शिक्षा | विद्यालय के पहले दिन, लता मंगेशकर ने अन्य बच्चों को गायन शिक्षण देना प्रारम्भ किया। जब शिक्षक ने उन्हें रोका, तो वह इतना गुस्सा हो गई कि लता मंगेशकर ने स्कूल जाना बंद कर दिया। अन्य सूत्रों का कहना है कि लता अपने साथ स्कूल में आशा को लेकर आती थी और स्कूल वालों ने उन्हें साथ लाने से मना कर दिया था इसीलिए उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया था। |
पहली फिल्म | |
ट्विटर हैंडल | https://twitter.com/mangeshkarlata |
कहा जाता है कि लता जी का प्रथम गाना 1943 में आई मराठी फिल्म “माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू “था जो मराठी फिल्म “गजाभाऊ ” का था |इसके बाद लता जी सन 1945 में मास्टर विनायक कम्पनी के साथ मुंबई चली गई थी |वहां जा कर उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया |
आप लोगों को यह जानकार आश्चर्य होगा कि कई म्यूजिक कंपनियों ने लता जी की आवाज को पतली और तीखी बता कर नकार दिया था |क्योंकि उस दौर के अनुसार उनकी आवाज को पसंद नही किया जा सकता था |उसी दौरान उनसे उस समय की मशहूर गायिका नूरजहाँ के लिए भी गाने गवाए गये |
अपने संघर्षों से लडती लता जी पर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब दुर्भाग्यवश 1948 में मास्टर विनायक की मृत्यु हो गयी |इससे उनके जीवन में और भी उथल -पुथल मच गयी |अर्थात शुरूआती दिनों में संगीत की दुनिया में लता जी को बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ा | लेकिन उस कठिन समय में विनायक जी की मृत्यु के पश्चात गुलाम हैदर जी ने लता जी के करियर को बढाने में बहुत मदद की |
इतना सब होने के पश्चात सन 1948 में फिल्म” मजदूर” का एक गाना-” दिल मेरा तोड़ा ,मुझे कहीं का ना छोड़ा “ने उन्हें पहचान दिलाई | बस अब आगे उन्होंने 1949 में ‘ महल “में जो गाना गाया ‘आएगा आने वाला “ ने उन्हें रातों -रात सुपर स्टार बना दिया | इस गाने के बाद तो मानो लता जी को रफ़्तार मिल गई |बड़े -बड़े संगीतकार उनको अपनी फिल्म में गाने के लिए बुलाने लगे |लता जी गुलाम हैदर जी को अपना गॉडफादर मानती हैं |
लता जी ने कई बड़े -बड़े डायरेक्टर जैसे कल्यानजी -आनंदजी ,अनिल बिस्वास ,खय्याम ,शंकर -जयकिशन ,एस .डी .बर्मन ,सलिल चौधरी ,मदन -मोहन रामचंद्र आदि के साथ काम किया |सलिल -चौधरी द्वारा दिया गया मौका जो फिल्म “ मधुमती “के लिए था “आजा रे परदेसी “ उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ |इस गीत ने उन्हें बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का पहला फिल्मफेयर अवार्ड दिलाया |
इतना ही नहीं लता जी ने कुछ राग आधारित गाने भी गाये जैसे फिल्म बैजू बावरा के लिए मोहे भूल गये सावरिया जो राग भेरव पर आधारित था |अल्लाह तेरो नाम भी इन्हीं में से एक था |जो पश्चिमी थीम पर था |
गायन क्षेत्र में लता जी का कार्यकाल लगभग छः दशकों तक रहा जो एक मिसाल है | इनके परिवार में संगीत मानो विरासत स्वरुप मिला था | लता जी की छोटी बहन आशा भोंसले ने भी गायन क्षेत्र में बहुत ऊँचा स्थान हासिल किया | इनके साथ ही इनका भाई भी संगीत क्षेत्र से जुड़ा है और अन्य बहनों ने भी संगीत क्षेत्र में अपना योगदान दिया है | कहा जाता है कि स्कूल के पहले दिन से ही लता ने बच्चों को गाना सीखना शुरू कर दिया था |
लता जी के संघर्ष के दिनों में नूर जहां ,जोहराबाई,शमशाद बैगम आदि चोटी की गायिकाओं का दबदबा था | ऐसे में अपने आप को साबित करना टेढ़ी खीर था | लेकिन लता जी तो बनी ही संगीत के लिए थी | उन्होंने अपने आप को साबित कर दिखाया |
देश भक्ति से ओत -प्रोत –
लता जी की आवाज़ में एक कशिश है |वह अपनी आवाज़ को परिस्थिति में ढाल लेने में सक्षम रहीं |सुनने वाला उसी परिस्थिति को महसूस करने लगता है |एक बार जब 1962 के भारत -चीन के युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम में लता जी ने भी शिरकत की | इसी कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे | इस कार्यक्रम में लता जी ने एक गाना गए कर सबकी आँखें नम कर दी जिनमे पंडित नेहरूजी भी थे |गाने के बोल थे – “ऐ मेरे वतन के लोगों ,ज़रा आँख में भर लो पानी | “आज भी यह गीत सुनकर सब भाव -विभोर हो जाते हैं |
यादगार गीत –
यों तो लता जी का हर गीत यादगार है लेकिन उनके गाये कई गीत तो मानो लोगों के मुँह पर ही रहते हैं जिनमे से फिल्म प्रेमरोग ,अनारकली ,आशा ,गाइड ,रामलखन ,मुगले आज़म ,नील कमल ,बरसात ,पाकीज़ा ,आपकी कसम ,दो रास्ते , नागिन ,नगीना और न जाने कितनी फिल्मे हैं जिनके गाने आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं | लता जी ने बतौर फिल्म -निर्माता भी काम किया | उन्होंने श्रीरामचन्द्र जी के साथ मिल कर हिंदी फिल्म झांझर ,कंचन और लेकिन तथा मराठी फिल्म ” वाडई” का निर्माण भी किया |य फिल्मे 1960 से 1969 बनी थी |
पुरस्कार –
लता जी को मिले पुरस्कारों की फेहरिस्त बहुत लम्बी है जो इस प्रकार हैं –
1. फिल्म फेर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
2. राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)
3. महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)
4. 1969 – पद्म भूषण
5. 1974 – दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
6. 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
7. 1993 – फिल्म फेर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
8. 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
9. 1997 – राजीव गान्धी पुरस्कार
10. 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
11. 1999 – पद्म विभूषण
12. 1999 – ज़ी सिने का का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
13. 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
14. 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
15. 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
16. 2001 – नूरजहाँ पुरस्कार
17. 2001 – महाराष्ट्र भूषण
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